छब्बीस भाषाओं के ज्ञाताः मोख्तार जयनाथ पति सिन्हा

सुधा कुमारी

मोख्तार जगनाथ पति सिन्हा विलक्षण प्रतिमा के धनी थे। इनका जन्म शादीपुर ग्राम में 1890 ई. में हुआ था। इनके पिता जवाहिर नाथ सिन्हा साधारण किसान थे।

मगही के प्रथम उपन्यासकार के रुप में इनका नाम गिना जाता है। 26 भाषाओं के ज्ञाता मोख्तार जयनाथ पति सिन्हा ने ‘कुरान’ का अनुवाद हिन्दी में तथा ‘रामायण’ का अनुवाद मगही में किया था। इन्होंने ‘फूलबहादुर’, ‘सुनीता’, ‘स्वराज’, पुस्तक की रचना मगही मंे की। इनकी पत्नी का नाम श्रीमती श्यामा देवी था। इनके एक पुत्र उपेन्द्र नाथ सिन्हा तथा तीन पुत्रियाँ क्रमशः शकुन्तला देवी, उर्मिला देवी तथा धर्मशीला देवी हैं। उपेन्द्र नाथ सिन्हा इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पी.एच.डी. की उपाधि के लिए अमेरिका पढ़ने गये। पढ़ाई के बाद अमेरिका में नौकरी की और वहीं बस गये, परन्तु स्वदेश की पुकार के कारण अपने सभी पुत्र-पुत्रियों की शादी हिन्दुस्तान में ही की।

मोख्तार जयनाथ पति स्वतंत्रता की लड़ाई में अहम भूमिका अदा करते रहे। अपने निजी आवास को दान कर दिया, जो आज कांग्रेस कमेटी का जिला कार्यालय है। उसके नीचें तहखाना जो आज भी सुरक्षित है उसमें खुद का छापाखाना चलाते थे। रात्रि में आखबार निकाली जाती थी, जिसे पाठकों के पास रात में ही पहुँचा दिया जाता था।

इनकी सबसे विलक्षण प्रतिभा यह थी कि ये एक ही समय में अपने दोनों हाथ से दो अलग-अलग भाषाओं में तेजी से लिखने में प्रवीण थे। जयपतिनाथ सिन्हा राजेन्द्र बाबू के सबसे प्रिय संदेश वाहक थे। लेखक होने के कारण स्वाधीनता आन्दोलन का काफी बोझ इनपर रहता था। मोख्तार होने के कारण ब्रिटिश हुकुमत से इन्हें हमेशा लोहा लेना पड़ता था। कानूनविद् होने के कारण इनकी जिम्मेवारी काफी बढ़ी रहती थी। ब्रिटिश सबडीविजनल आॅफिसर ‘लूक्स’ इनसे संस्कृृत पढ़ने इनके आवास पर आया करते थे। उनका दिया हुआ उपहार हाथी दाँतों का टेबुल आज भी उनके घर में लूकस की याद दिलाता है। इनकी मृत्यु 1939 ई. को अचानक हो गई।

संदर्भः- यात्रा 2010 सुधा कुमारी